Baba Kaliveer Ji full History in hindi 2024 ! कालीवीर की अमर कथा

Baba Kaliveer Ji Sampurn history.कालीवीर जी का जप मंत्र क्या हैं.Baba kaliveer katha

बावा कालीबीर जी का जन्म कश्मीर के एक राजा ईशर के घर हुआ था और बचपन से ही आध्यात्मिक ज्ञान के भंडार और दैविक शक्तियों के स्वामी थे.कालीवीर जी (Bawa Kaliveer Ji) बहुत बड़े योद्धा थे जिन्होंने धर्म के लिए दुष्ट लोगों के साथ युद्ध कर समाज में धर्म शांति भी स्थापित की राजा मंडलीक के सहायक बने और राजा ने अपना गुरु मान उन्हे अपने राज्य का मुख्य सलाहकार वजीर बनाया दोनो ने मिलकर सनातन धर्म को कायम रखा. कालीवीर जी को शेष नाग का अवतार माना गया है और एक धारणा ये भी है की कालीवीर के बाल अवस्था से युवा अवस्था तक के बारे में सबको जानकारी हे पर अंत में बाबा कालीवीर के बारे मैं किसी कुछ नहीं पता कहा जाता है आज भी बाबा कालीवीर जी जीवित हैं और जब कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेंगे उस समय बह प्रगट होंगे और भगवान के साथ मिल कर धर्म की स्थापना करेंगे .

Baba Kaliveer Ji

बाबा कालीवीर की कहानी (Baba Kaliveer Ji Full Story)

कश्मीर के राजा ईश्वर के घर कोई संतान नहीं थी और उन्होंने पंडित से पूछा और पंडित ने उन्हें उपाय बताएं और कहां भगवान शिव की आराधना करें और भगवान की कृपा प्राप्त होने पर आपके घर संतान अवश्य होगी. राजा इश्क ने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की और उन्होंने बिना खाए पिए लगातार 41 दिन पर निराहार व्रत किया और एक दिन भगवान शिव उनके सपने में आए और कहां के राजन आपके तब से मैं बहुत पसंद हुआ हूं और आपको मैं वरदान देता हूं कि आपके घर देवलोक से एक शक्ति का जन्म होगा और वह धर्म कर्म के कार्य करेगा और योद्धाओं का योद्धा राजाओं का राजा देवताओं का देवता जिसे लोग अपना इष्ट मानकर कुल देवता मानकर पूजा अर्चना करेंगे पर वह अपनी मर्जी का खुद मालिक होगा उसे कोई भी बांध नहीं सकेगा. भगवान श्री हरि की कृपा से बह धरती पर अवतार लेंगे और दैविक शक्तियों से संपन्न आपका नाम रोशन करेंगे तक आपका नाम दुनिया याद रखेगी.

बाबा कालीवीर जी का जन्म और युवा अवस्था

बाबा काली वीर जी का जब जन्म हुआ पूरे राज्य में मिठाइयां बांटी गई खुशियां मनाई गई राजा ने गरीबों को वस्त्र दान किया अनुदान किया स्वर्ण आदि दान किया और पूरे महल को सजा दिया. और जिसने भी बालक को दिखा वह देखता ही रहा मुख मंडल पर इतना तेज सूरज जैसी चमक और जब पंडितों ने बाबा काली विद्या की जन्म पत्रिका बनाई तो वह भी हैरान थे और कहने वालों की राजन यह कोई साधारण बालक नहीं इसके बारे में कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता क्योंकि इनका  जन्म नक्षत्र गंडमूल है और इन्हे आप किसी दैविक सिद्ध पीठ पर चढ़ाए .माता काश्ला अपने पुत्र को लेकर काली माता कोल्कता बाली के दरबार में गई और माता के चरणों में बालक को रख दिए अचानक से हवाएं चलने लगी बिजली चमकने लगी और गर्जना हुई ये कोई मामूली बालक नहीं इसे पालो और इसका नाम काली रखे.माता काली ने नाम दिया काली और वीरो के वीर बने कालीवीर

कालीवीर और राजा मंडलीक का मिलन,कालीवीर राजा मंडलीक के वजीर कैसे बने?

 

कालीवीर (Bawa Kaliveer Ji) मंडलीक के कक्ष में गए और जब राजा को पता चला की ये मेरे मासी के पुत्र हैं तो बड़ी खुशी हुई और राजा को पता था की कालीवीर जी के पास आध्यात्मिक ज्ञान और दैविक सिद्ध शक्तियां हैं.राजा ने परीक्षा लेने के लिए कहा आप मेरे साथ चौपड़ का खेल खेलेंगे क्योंकि राजा को चौपड़ में कोई हरा नही सकता था.कालीवीर और राजा मंडलीक चौपड़ खेलने लगे पर चार बाजी लगाई और राजा हार गए और कालीवीर जी जीत गए. राजा मंडली को यकीन हो गया कि वाकई काली वीर में कोई दैविक शक्ति है और ऐसी शक्ति अगर मेरे राज्य में रहे मेरे साथ रहे तो मेरे राज्य के लिए बड़ी गर्व की बात होगी और मेरी प्रजा भी सुखी रहेगी क्योंकि बाबा काली वीर वह शक्ति है इसके आगे कोई भी बुरी ताकत टिक नहीं सकती.

राजा मांडलिक और कालीवीर जब बंगाल गए राजकुमारी को देखने

राजा मांडलिक ने बाबा काली वीर को अपने राज्य में रख लिया और अपना वजीर नियुक्त किया और कहा कि आप हमें मार्गदर्शन दीजिए और हमारे राज्य को चलाने के लिए हमारे सहायक बने बाबा काली वीर और राजा मंडली मिलकर लोगों की सेवा करने लगे जो कोई भी दिन दुखी उनकी शरण में आता उसका वह निदान करते. एक दिन राजा मांडलिक ने बंगाल की राजकुमारी  के बारे में सुना कि वह बहुत खूबसूरत है तो राजा के मन में उसे देखने की इच्छा हुई और वजीर को साथ लेकर वह बंगाल की ओर चल पड़े दोनों बंगाल क्षेत्र में पहुंचे और दोपहर का समय था तो उन्होंने एक बगीचे में ठहरने का मन बनाया और बहुत ही सुंदर बगीचा जिसमें सुंदर फूलों फलों से लगे वृक्ष जो कि बड़ा है मनमोहन बगीचा था क्योंकि वह राजकुमारी का बनाया बगीचा था.

राजा वजीर को कहता है कि मुझे नींद लगी है और आप बैठे और मैं थोड़ी देर विश्राम कर लेता हूं क्योंकि फलदार वृक्ष की ठंडी ठंडी शाम में आराम करने का एक अलग ही मजा होता है. राजा मांडलिक सो रहे थे तो रानी सिरगला अपनी सहेलियों के साथ बगीचे में आती है और दो युवकों को वहां पर सोते देखा गुस्से से कहती है कौन हो तुम और मेरे बगीचे में किसकी आज्ञा से आए हो. कालीवीर कहते हैं यह देवी यह मेरे राजा है और मैं इनका वजीर हूं और बड़ी दूर से हम जहां आए हैं तो रानी कहती है या अपने राजा को जहां से उठाओ और चलते बनो क्योंकि जहां पर मेरे अलावा और कोई नहीं आ सकता. वजीर कहते हैं की राजकुमारी मैं अपने राजा को नींद से नहीं उठा सकता अगर आप चाहो तो खुद उठा सकते हैं

राजकुमारी राजा के समीप आती है और जोर से छींक मारती हैं जिसे राजा की नींद खुल जाती है और राजा जब राजकुमारी को अपने सामने देखते हैं तो आंखें खुली की खुली ही रह जाती है और टकटकी लगाए देखते ही रहते हैं. राजकुमारी रहती है की जहां से चले जाओ तुम मेरे बारे में नहीं जानते नहीं तो मैं तुम दोनों को बेड बकरियों बनाकर जहां पर बांध के रख लूंगी . राजा कहता है ही खूबसूरत राजकुमारी तुम इतनी खूबसूरत हो कि मेरा मन करता है मैं तुमसे शादी कर लूं और क्यों ना हम दोनों शादी के बंधन में बंद जाएं राजकुमारी को गुस्सा आ जाता है और कहती है जहां से चले जाओ मुझे और गुस्सा मत दिलाओ. राजा कहते हैं कि तुम मेरी परीक्षा ले सकती हो

राजकुमारी और राजा के बीच चौपड़ खेल गया और राजकुमारी ने कहा अगर तुम दोनों हार गए तो मैं तुम दोनों को बेड बकरी बनाकर अपने पास रख लूंगी. राजा कहने लगे अगर हम जीत गए तो तुझे मेरे साथ शादी करनी होगी दोनों के बीच कॉपर की बड़ी लग गई और रानी ने अपना जादू के साथ पास से फेंके पर उसे इस चीज का मालूम नहीं था राजा के साथ उसका वजीर जिसके ऊपर कोई जादू नहीं चलता और इसके चलते ही राजकुमारी सभी बाजी हार गई. शर्त के मुताबिक राजकुमारी को अब राजा से शादी करनी थी और राजकुमारी राजा को और बाबा कुलवीर को अपने महलों की ओर ले जाती है और अपने पिता से कहती है कि मैं इस राजा के साथ शादी करूंगी राजकुमारी के पिता ने कहा कि तुम बारात लेकर आ जाओ और हम आप दोनों की शादी कर देंगे

राजा मंडली और बंगाल की राजकुमारी सिरगल की शादी

राजा मंडली जब अपनी बारात लेकर जाते हैं बारात में गुरु गोरखनाथ सहित बहुत सारे लोग नाग तक बारात में गए थे पर काली वीर जी बारात में नहीं गए थे क्योंकि राजकुमारी ने जब शर्त रखी थी बारात में काले रंग के लोगों को मत लाना और बाबा कालीवीर का रंग सांवला था क्योंकि राजकुमारी की चाल थी और राजा मंडलीक भी समझ सका था राजकुमारी के प्यार में बह बारात में कालीवीर को नहीं ले गया.जब बारात बंगाल पहुंची रास्ते में रुकी और राजा ने कहा कि मैं शिकार खेले जा रहा हूं और कुछ शिकार करके लाता हूं ताकि लोगों को कुछ खिला सके और राजा अपने कुछ लोगों के साथ शिकार की ओर चल गया. और मैं वापस नहीं लौटा गुरु गोरखनाथ और बाकी बारातियों ने वापस आने का सोच और वह सारे वापस आ गए क्योंकि राजकुमारी का यही जादू था और राजा जादू की चपेट में आ गया और 12 साल ससुराल ही रहा

कालीवीर जब राजा मंडलीक को बंगाल गया छुड़ाने

राजा मंडलीक का राज्य बिना राजा के सुना हो चुका था और मुगल राजा के राज्य पर कब्जा करना चाहते थे जिसको लेकर राजा  की माता ने काली वीर को बुलावा भेजा और बाबा माता के पास गए और कहां माता आज्ञा दे आपने किस प्रयोजन से मुझे बुलाया है माता ने कहा मुझे मालूम है तुम राजा से नाराज हो क्योंकि राजा तो राजकुमारी के बस में था इसी कारण मैं तुम्हें अपने साथ नहीं ले गया और ऐसी होनी हो गई अब तुम बंगाल जाओ और राजा को ले आओ. बाबा जी माता के कहने पर बंगाल के और राजा उसे समय एक बगीचे में लेते हुए थे तो बाबा राजा के पास जाते हैं और उनके ऊपर चल रहा जादू काट देते हैं और राजा देखते ही समझता है और बाबा से कहता है कि मैं आपका बड़ा धन्यवाददी हूं मुझसे गलती हुई है.

बाबा ने राजा के साथ-साथ उन सभी सिपाहियों को भी जादू से मुक्त किया जिन्हें राजकुमारी ने बेड बकरियों बना दिया था अब राजा राजकुमारी से कहता है कि मैं 12 वर्षों से तुम्हारे राज्य में हूं और तुम्हारे जादू की वजह से मैं अपनी मां बहन सबको भूल चुका था अब मेरा साथी मेरा वजीर मेरे साथ आ गया है अब तेरा जादू नहीं चल सकता क्योंकि मैं अपने राज्य को जा रहा हूं तुमने आना है मेरे साथ तो तुम्हारा स्वागत है नहीं तो तुम अपने मायके ही रहो क्योंकि मेरा राज पाठ सब बेहाल है और तुम्हारी क्या मर्जी है अब तुम सोचो. राजकुमारी ने कहा नहीं मैं भी तुम्हारे साथ ही चलूंगी और मैं बाबा से और आपसे क्षमा चाहती हूं मैंने अपने जादू के जरिए आपको जहां पर रखा अब मुझे ससुराल जाना है और राजा राजकुमारी के साथ अपने राज्य में आ जाते हैं

बाबा काली वीर और राजा मांडलिक ने मुगलों के साथ किया युद्ध

उसे समय मुगलों का अत्याचार शुरू हो चुका था और मैं हिंदुओं को चुन चुन कर मरते थे उनकी जगह पर कब्जा कर लेते थे. छोटे-छोटे राजा जो की मुगलों का सामना नहीं कर सकते थे और मुगल उनका राज पाठ छीन लेते थे महिलाओं के साथ अत्याचार होता था इन सब का पता जब राजा मांडलिक और कालीवीर को पता लगा तो उन्होंने मुगलों के साथ युद्ध किया और काली वीर के खड़क के आगे तलवार के आगे मुगल भागने लगे क्योंकि बाबा के खड़क से बिजली चमकती थी और दुश्मनों पर गिरती थी माहौल ऐसा बन गया था की बाबा काली वीर जी का नाम सुनते ही मुगल रास्ता छोड़ देते थे और जब कश्मीर में मुगलों ने अंत तक फैलाया तो बाबा काली वीर जी के पिता ईश्वर राजा ने काली वीर को बुलाया और सारी समस्या बताई

बाबा कालीवीर (Baba Kaliveer Ji) मुगलों ने कश्मीर में बहुत अंत तक फैलाया था और बाबा कालीवीर ने मुगलों के साथ युद्ध कर लोगों को बचाया जिससे लोग बाबा कुलवीर को अपना कुलदेव अपना रक्षक मानने लगे. और मुगलों ने बाबा जी के दर से कश्मीर को छोड़ दिया और जिस समय बाबा काली वीर जी कश्मीर में थे तो राजा मांडलिक के राज्य में मुगलों ने हमला कर दिया और सुनने में आता है कारकों के जरिए जोगी चेले लोक गायक अपनी कथा अपने गानों में सुनाते हैं की राजा मंडलीक एक युद्ध में शहीद हो गए और बाबा काली जी ने जब सुना तूने बहुत दुख हुआ और वह एकांत में जाकर तपस्या करने लगे और उसके बाद से बाबा काली जी कश्मीर की किसी गुफा में अदृश्य हो गए उसके बाद उनके बारे में किसी को कुछ नहीं पता चला

भगवान विष्णु जब कल्कि अवतार लेंगे तब बाबा काली वीर जी होंगे प्रकट

बाबा कालीवीर जी अदृश्य रूप में विचरण करने लगे क्योंकि कलयुग का प्रचंड रूप चल रहा था और कलयुग में देवी देवता इन आंखों से सबके सामने नहीं आते उन्हें हवा रूप में अदृश्य होकर अपने भक्तों की सहायता करनी होती है और जब भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेंगे तो बाबा काली जी प्रकट होंगे क्योंकि श्री राम जन्म में प्रभु श्री राम ने माता वैष्णो को वचन दिया था कि कलयुग में मैं ब्राह्मण के घर जन्म लूंगा और तुम भी उसे समय जन्म लेना और मैं तुमसे शादी करूंगा और मेरी शक्तियां महाबली हनुमान जी और मेरे शेषनाग आपके साथ रहेंगे और तभी से हनुमान जी वैष्णो देवी धाम में पहरा देते हैं बाबा काली जी आज भी अपने भक्तों को चमत्कार दिखाते हैं और जो कोई उन्हें अपना कुलदेव के रूप में मानते हैं उन्हें किसी चीज की कमी नहीं आने देते. काली वीर जी को हर गांव में लोग अपने रीति रिवाज के अनुसार पूजते हैं और कोई भी कार्य करने से पहले माथा टेकने के बाद ही कार्य शुरू करते हैं

Baba Kaliveer ji ki chonwki

कालीबीर जी (Baba Kaliveer Ji) की चौंकी कैसे भरते हैं . कालीवीर जी की सेवा करने से बह शरीर में प्रवेश करते हैं जो भक्त सच्चे दिल से लगातार बाबा की संगल को स्नान कराएं नाग देवता को दलसी डाले और रविवार को रोट बनाकर कंजक पूजन करें बाबा उस भक्त को अपना चेला बना लेते हैं.और जिस व्यक्ति में कालीवीत खेलते हैं उसके घर में दैविक शक्तियों का मेला लग जाता है.बाबा कालीवीर (Baba Kaliveer Ji) के आगे जादू टोना भूत प्रेत किसी का वश नहीं चलता है.जो व्यक्ति बाबा जी का साल में एक बार भंडारा करता है उसके घर में किसी चीज की कमी नहीं रहती . (Baba Kaliveer Ji) जी का जप रोज एक माला ॐ नमो श्री कालीवीर आए नमा  या कुलदेव शक्तिपुंज श्री काली शेष कालका वीर आए नमा का जप करने वाले के ऊपर दैविक शक्तियों का वास हो जाता है।

भजन लाल सरकार गई अजोध्या माथा टेकने

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